करेगे बात तुमसे भी
जरा यह बुरा वक़्त गुजर जाने दो
दोस्तों से भी मिलेगे जी भर के
दुश्मनों से तो निपट जाने दो
भभक तो उठी है आग सीने में
जरा लहू को तो उबल जाने दो
लगा दूंगा आग सारे ज़माने को
जरा मैदान में तो उत्तर जाने दो
देख लेना हषर उन परिंदों का
जरा हाथ में तो आ जाने दो