soch

soch

Wednesday, September 14, 2011

अभी तक हारा नहीं हु मैं





लगा कर आग जो हाथ सेकते है
कभी इधर  की तो कभी उधर  की फेकते है 
नजर नहीं आयेगे जब होगा सामना 
कर दूंगा हषर वो की  मुश्किल हो जायेगा पहचानना 
मासूम दिलो  के जज्बातों से खेलना 
पड़ेगा बहुत महंगा उन्हें
बहुत रुलाया , तडपाया , मजबूर किया है हमे 
जूठी तोहमते , इल्जाम बहुत सहे है हमने 
हँसी आते है सोच कर , क्या होगा उन जालिमो का
जब आपनी पर आएगा कोई 
मेरी हस्ती तो तुम मिटा न सके 
आएगा मजा जब तुमारी हस्ती मिटाएगा कोई  
क्योकि खेल अभी ख़तम नहीं हुआ
अभी तक हारा नहीं हु मैं 

Sunday, September 4, 2011

कोई तो हो अपना

कभी कभी ऐसा क्यों होता है 
की जो बातें बनी बनाई है
वही झूठी साबित हो जाती है
लोग कहते है जिस चीज़ के पीछे भागो
वोह तुम्हे कभी नहीं मिलती
जब भागना छोड़ दो
तो वोह खुद बखुद तुमरे पास चली आती है
लकिन उसके साथ तो ऐसा भी नहीं हुआ
माँ के गुजरने के बाद प्यार को तरसता एक बच्चा
मिली तो हमदर्दी , वोह भी झूठी 
जब बड़ा हुआ तोह दोस्तों में प्यार तलाशने लगा
भाग रहा था प्यार के पीछे , पर कहीं नहीं मिला
जब वोह आई उसकी जिन्दगी में 
तो  लगा जैसे तलाश पूरी हो गई
पर वो नहीं जानता था , बनी बनाई बातो को
प्यार तो उसके नसीब में ही नहीं था 
आज भागना छोड़ दिया उसने प्यार के पीछे 
लकिन वो बातें अभी भी सच नहीं हुई 
इस जिन्दगी में कोई तो हो अपना
जिसे वो  अपना बस अपना कह सके