soch

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Tuesday, August 7, 2012

ये क्या लिख दिया मेरी हाथो की लकीरों में ??

बदनसीबी  है जो इस हालत में भी जी रहे है
खुशनसीब होते जो मुह मांगे मिल जाती मौत 
हालातो ने लड़ना तो दिया सिखा 
गर हालत बदल जाते तो खुशनसीबी  होती 
रिश्तो की आड़ में तो सबको जरुरत है मेरी
गर बिना शरत मंजूरी  होती तो खुशनसीबी होती 
ए तक़दीर बनाने वाले 
ये क्या लिख दिया मेरी हाथो की लकीरों में ??
ये लकीरे बदल जाती तो खुशनसीबी होती  

Tuesday, July 31, 2012

दिल भी कभी झूठ बोलता है क्या ?

दिल भी कभी झूठ  बोलता है क्या ?
पूछो अपने दिल से .......
अर्रे पगली मेरे इस सीने में तुमारा दिल ही तो धड़कता है
भूल गई तुम .... ?
जब तुमने इसे मुझे सोंप दिया था 
और कहा था शोना हमेशा संभाल कर रखना 
देखो सीने से लगा रखा है तब से 
उसी ने तो कहा है मुझे .....
तुम आओगी ,    जरुर आओगी 
अब तुम्ही बताओ ......
क्या ये मुझसे कभी झूठ बोल सकता है ???
:-(

Sunday, July 29, 2012

ये तेरा प्रेम ही तो है

ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने हर हालात में जीना सिखा दिया 
हर नज़र को पहचानना सिखा दिया
ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने मेरा  हर आंसू  कीमती कर दिया 
मेरे जीवन को एक राह दी
ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने मेरे बडबोलेपन को लुप्त कर दिया 
मेरी इस जुबान पे ताला जड़ दिया
ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने मेरी रूह को तेरी रूह से मिला दिया 
जिसने मेरी हर वफ़ा का सिला दिला 
ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने जीना सिखा दिया 
मेरी रुकी रुकी  सी साँस को चला दिया 
ये तेरा प्रेम ही तो है
युही मुझसे प्रेम करते रहना  मग ........
युही मेरी रूह में समाये रहना 
तुम हो तो ये साँस है
नहीं तो कुछ भी नहीं 
 
 

बी प्रक्टिकल


बी  प्रक्टिकल
यही तो कहा था उसने मुझे 
दिल तो लगाया मुझसे पर कहा 
दिमाग से सोचो 
बी  प्रक्टिकल
खुद तो रोया रात्तो को जाग जाग कर
मुझे ना रोने दिया कहा 
बी  प्रक्टिकल
कर दिया निसार सब कुछ अपना मेरे लिए 
और मुझे कहता है 
बी  प्रक्टिकल
मेरी सब निशानिया संभल बैठा है 
और कहता है जला दो सभी ख़त मेरे क्योकि ........
बी  प्रक्टिकल
कहता है 
समाज नहीं देगा मंजूरी अपने रिश्ते को 
खुश रह तू है जिसके साथ 
बी  प्रक्टिकल
क्या प्यार कभी सेलरी के पांच अंको से तय होता है 
क्या प्यार दिमाग से होता है 
प्यार तो एक जनून है
जज्बा है 
समझो तो समझो मग ..........
हम तो नही समझेगे 
तुम रहो ताउम्र
बी  प्रक्टिकल
 

ये कड़वा सच


कुछ दिनों से फिर वही महसूस हो रहा है  
वो जो दर्द कही दफ़न हो गया था
दिल क़ी गहरी खाइयो  में
कही से फिर लावा बन उबल रहा है 
 अपना सारा क्रोध जो पी लिया था
एक ही साँस में 
कमबख्त इस लावे को हवा दे रहा है 
फिर वही वीरान रात्तें दस्तक दे रही है 
फिर वही नींद क़ी तलाश में भटक रहा हु 
कमबख्त कमीना दिल भी 
दोगला हो गया है 
कभी तो इसके मीठे आश्वासन 
तस्सली  दे जाते है
कभी कमबख्त सच उगल देता है  
ये कड़वा सच ( मैं जनता हू सच क़ी कडवाहट )
ना पिया जाता है और 
ना उगला जाता है 

मान मर्यादा , रीती रिवाज

मान मर्यादा , रीती रिवाज कब संकट में आते है 
एक पड़ी लिखी लड़की आपना साथी खुद चुनती है वो 
या रीती रिवाजो के ठेकेदार जब प्रेमी युगल क़ी  बलि चडाते है 
एक कन्या क़ी जब भ्रूण हत्या क़ी जाती है वो
या जब दहेज़ के लालची लड़की को जिन्दा जला देते है 
एक गरीब घर क़ी लड़की जब पड़ने के लिए कालेज  जाना चाहती है तब 
या जब आमिर बाप क़ी बिगड़ी औलादे उन लडकियों पर टिप्पणिया करते है
कब तक ये समाज के ठेकेदार लडकियों को ही जिमेदार ठहराते  रहेगे ?
   
 

Friday, July 27, 2012

महिला और पुरुष

महिला,  स्त्री , लड़की  
महिला वो भी है जो ९ महीने संतान को कोख में रख कर असीम पीड़ा को सहते हुए संतान को जनम देती है 
महिला वो भी है जो अपने बहुमूल्य प्यार का त्याग कर पिता की मान मर्यादा के लिए हस्ते हस्ते किसी अनजान शख्स  से विवाह करती है 
महिला वो भी है जो खुद  खाए   बिना  आपने बच्चो का पेट भरती है
महिला ही है वो जो कभी सचे प्रेम को नहीं भूलती  चाहे वो दर्शाए कुछ भी
महिला ही है वो जो कभी दुर्गा , कभी लक्ष्मी कभी झाँसी के रानी बनती रही है 

पुरुष लड़का  मर्द 
पुरुष वो है  जो  महिलाओ के मान मर्यादा के लिए लड़ता है चाहे वो माँ हो या बहेन
पुरुष वो भी है जो सारा दिन मेहनत कर घर का पालन पोषण करता है
पुरुष वो भी है जो बच्चो के शिखा दीक्षा के लिए अपने आप को बेचने तक तयार रहता है
पुरुष वो भी है जो संतान के लिए कितने ही समझोते करता है

इस संसार में दोनों एक दुसरे के पूरक है 
दोनों एक दुसरे के बिना अधूरे है 
कभी दोनों सामाजिक रिश्तो में एकदूसरे का साथ निभाते है 
कभी भावनात्मक रिश्तो के आड़ में एक दूजे को जीने का होसला देते है 
  


 

Sunday, July 8, 2012

ये साँस ही न रुके उसका क्या करू


जखम तो भर जायेगे  , अगर न कुरेदू इने 
लेकिन जो कील फसी है सीने में
उसका क्या करू 
दर्द तो अपना लिया है दिल से
जो तुमने दिया इनाम मोहब्बत में
पर आंसू जो न रुके 
उसका क्या करू 
चलती फिरती बन गया हु लाश
ये साँस ही न रुके 
उसका क्या करू
तुम दूर हो मुझ से समझ गया हु मैं
ये कम्बखत दिल ही न समझे
उसका क्या करू
प्यार तो हद से बढ कर करता हु तुम्हे मग .............
कम्बखत  दुनिया मांगे सबूत 
उसका क्या करू 
खुश हो तुम मुझसे बिछड़ कर भी 
ये कहते है लोग 
ये दिल ही न माने
उसका क्या करू  


Wednesday, March 28, 2012

रूह तक तो तेरी हो चुकी है



अब ये दिल किसी के प्यार का मोहताज नहीं 
जो किसी से छुपा हो अब ऐसा कोई राज नहीं 
रूह तक तो तेरी हो चुकी है मग.......
और तुम कहते हो तुम्हे हम से कोई सरोकार नहीं 

वही शख्स हु मैं

जानता हु मज़बूरी तेरी
पर मुझसे यु चेहरा तो ना छुपा
ना कर मुझसे बात चाहे 
इन नजरो को तो ना तरसा  
वही शख्स हु मैं मग....
जो कभी सब कुछ था तेरा 

Saturday, February 18, 2012

तुम आओगी ना .............?

मंजूर है मुझे
ये जिन्दगी तुम्हारे बिना 
क्योकि ...........
कुछ कमिया थी मुझ में
कुछ गलतिया की मैंने
वादा करता हु तुमसे 
कोशिश करुगा खुश रहने की
तुम्हारे बिना
पर तुम भी करो एक वादा
लोगी जनम दुबारा मेरे लिए 
बनोगी मेरी जन्मो जन्मो के लिए 
मेरी........................ सिर्फ मेरी
तुम आओगी ना .............?   

Tuesday, February 14, 2012

दर्द की साजिश

एक होड़ से लग गयी थी 
दर्द और मेरे प्यार में 
एक समय था जब प्यार मेरे सबसे करीब था 
और दर्द बिलकुल भी नहीं
ये बात दर्द को नागवार गुजरी 
उसने रची एक साजिश 
दर्द बहुत नफरत करता था मेरे प्यार से
और मोहरा बना मैं
हुआ ऐसा कुछ 
इस दर्द ने धीरे धीरे मेरे प्यार को मुझसे
कर दिया दूर
और खुद आ गया मेरे इतने नजदीक
की मुझे पता भी नहीं चला
दर्द जीत गया
हार गया प्यार
हार गया मैं
और आज वो समय है
जब दर्द से ही है मुझे प्यार
ये दर्द कम्भखत हम दोनों के तो करीब आ गया
और हमे कर दिया एक दुसरे से दूर 
अजीब साजिश 

Thursday, February 2, 2012

तरसती आँखे

न दर्द रुकता है 
न वक़्त गुजरता है 
न आसू  आते है
न नमी सूक्ति है
न ख्वाब बदलते है
न ख्वाब टूटते है 
सब कुछ मिल तो गया है
फिर भी आँख तरसती है
जो चेहरा  नहीं है कही भी
बस उसे दुंद्ती है
खुद ही उलझाई है राहे अपनी 
खुद ही बना हु तमाशा 
अगर बदल गए है सब
मैं क्यों नहीं बदल जाता
न वो याद करते है
न मुझसे भुला जाता 

   

Wednesday, February 1, 2012

टाइटल रहित

देखा उन्हें इतेफाक से आज
उन्होंने भी देखा 
पर कर दिया अनदेखा 
थी मुस्कराहट उनके चहरे पर
देख उनकी  मुस्कराहट 
तबियत हुई मेरी खुश 
तभी महसूस हुआ कुछ
वो कर रहे है गुफ्तगू किसी और से
वो भी फ़ोन से
तब याद आया कुछ
ये वही खुशी और मुस्कराहट है 
जो कभी आती थी हम्हे देख  कर

  

Saturday, January 28, 2012

अभी तक जिन्दा हु मैं

मेरी जिन्दगी का सबसे बड़ा झूठ
सबसे बड़ा मजाक
सबसे बड़ा दर्द
सबसे बुरा सपना
सबसे मुश्किल काम
सबके लिए समस्या
ये है की ..............

"अभी तक जिन्दा हु मैं " 

बस इंतज़ार है

उसको थी पसंद शानो शोकत 
मुझे लगा शायद है वोह मेरी सादगी पे मरती
उसको थी पसंद दौलत पैसा
मुझे लगा उसे सिर्फ चहिये मेरे जैसा 
उसको थी आती बाते बनानी 
मुझे लगा वोह कहती है दिल की
वोह तब भी जी सकती थी मेरे बिना
मुझे लगा वो अब भी करती है याद मुझे 
जो जो उसने मुझे
दिखाया
समझाया
बतलाया
दर्शाया
वो सब कुछ क्या सिर्फ झूठ था 
हाँ  या ना
मुझे लगा वोह सच कहती है 
आज कही नहीं है वो
मुझे लगता है यही कही है 
उसका कहना 
मेरा समझना
आज भी उलझा हु इन सब सवालो में 
शायद उलझा भी रहू जब तक की
वो आ ना जाये 
समझा ना जाये
अब तो बस इंतज़ार है की
पहले वो आते है या आखिरी सांस