soch

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Tuesday, July 31, 2012

दिल भी कभी झूठ बोलता है क्या ?

दिल भी कभी झूठ  बोलता है क्या ?
पूछो अपने दिल से .......
अर्रे पगली मेरे इस सीने में तुमारा दिल ही तो धड़कता है
भूल गई तुम .... ?
जब तुमने इसे मुझे सोंप दिया था 
और कहा था शोना हमेशा संभाल कर रखना 
देखो सीने से लगा रखा है तब से 
उसी ने तो कहा है मुझे .....
तुम आओगी ,    जरुर आओगी 
अब तुम्ही बताओ ......
क्या ये मुझसे कभी झूठ बोल सकता है ???
:-(

Sunday, July 29, 2012

ये तेरा प्रेम ही तो है

ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने हर हालात में जीना सिखा दिया 
हर नज़र को पहचानना सिखा दिया
ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने मेरा  हर आंसू  कीमती कर दिया 
मेरे जीवन को एक राह दी
ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने मेरे बडबोलेपन को लुप्त कर दिया 
मेरी इस जुबान पे ताला जड़ दिया
ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने मेरी रूह को तेरी रूह से मिला दिया 
जिसने मेरी हर वफ़ा का सिला दिला 
ये तेरा प्रेम ही तो है 
जिसने जीना सिखा दिया 
मेरी रुकी रुकी  सी साँस को चला दिया 
ये तेरा प्रेम ही तो है
युही मुझसे प्रेम करते रहना  मग ........
युही मेरी रूह में समाये रहना 
तुम हो तो ये साँस है
नहीं तो कुछ भी नहीं 
 
 

बी प्रक्टिकल


बी  प्रक्टिकल
यही तो कहा था उसने मुझे 
दिल तो लगाया मुझसे पर कहा 
दिमाग से सोचो 
बी  प्रक्टिकल
खुद तो रोया रात्तो को जाग जाग कर
मुझे ना रोने दिया कहा 
बी  प्रक्टिकल
कर दिया निसार सब कुछ अपना मेरे लिए 
और मुझे कहता है 
बी  प्रक्टिकल
मेरी सब निशानिया संभल बैठा है 
और कहता है जला दो सभी ख़त मेरे क्योकि ........
बी  प्रक्टिकल
कहता है 
समाज नहीं देगा मंजूरी अपने रिश्ते को 
खुश रह तू है जिसके साथ 
बी  प्रक्टिकल
क्या प्यार कभी सेलरी के पांच अंको से तय होता है 
क्या प्यार दिमाग से होता है 
प्यार तो एक जनून है
जज्बा है 
समझो तो समझो मग ..........
हम तो नही समझेगे 
तुम रहो ताउम्र
बी  प्रक्टिकल
 

ये कड़वा सच


कुछ दिनों से फिर वही महसूस हो रहा है  
वो जो दर्द कही दफ़न हो गया था
दिल क़ी गहरी खाइयो  में
कही से फिर लावा बन उबल रहा है 
 अपना सारा क्रोध जो पी लिया था
एक ही साँस में 
कमबख्त इस लावे को हवा दे रहा है 
फिर वही वीरान रात्तें दस्तक दे रही है 
फिर वही नींद क़ी तलाश में भटक रहा हु 
कमबख्त कमीना दिल भी 
दोगला हो गया है 
कभी तो इसके मीठे आश्वासन 
तस्सली  दे जाते है
कभी कमबख्त सच उगल देता है  
ये कड़वा सच ( मैं जनता हू सच क़ी कडवाहट )
ना पिया जाता है और 
ना उगला जाता है 

मान मर्यादा , रीती रिवाज

मान मर्यादा , रीती रिवाज कब संकट में आते है 
एक पड़ी लिखी लड़की आपना साथी खुद चुनती है वो 
या रीती रिवाजो के ठेकेदार जब प्रेमी युगल क़ी  बलि चडाते है 
एक कन्या क़ी जब भ्रूण हत्या क़ी जाती है वो
या जब दहेज़ के लालची लड़की को जिन्दा जला देते है 
एक गरीब घर क़ी लड़की जब पड़ने के लिए कालेज  जाना चाहती है तब 
या जब आमिर बाप क़ी बिगड़ी औलादे उन लडकियों पर टिप्पणिया करते है
कब तक ये समाज के ठेकेदार लडकियों को ही जिमेदार ठहराते  रहेगे ?
   
 

Friday, July 27, 2012

महिला और पुरुष

महिला,  स्त्री , लड़की  
महिला वो भी है जो ९ महीने संतान को कोख में रख कर असीम पीड़ा को सहते हुए संतान को जनम देती है 
महिला वो भी है जो अपने बहुमूल्य प्यार का त्याग कर पिता की मान मर्यादा के लिए हस्ते हस्ते किसी अनजान शख्स  से विवाह करती है 
महिला वो भी है जो खुद  खाए   बिना  आपने बच्चो का पेट भरती है
महिला ही है वो जो कभी सचे प्रेम को नहीं भूलती  चाहे वो दर्शाए कुछ भी
महिला ही है वो जो कभी दुर्गा , कभी लक्ष्मी कभी झाँसी के रानी बनती रही है 

पुरुष लड़का  मर्द 
पुरुष वो है  जो  महिलाओ के मान मर्यादा के लिए लड़ता है चाहे वो माँ हो या बहेन
पुरुष वो भी है जो सारा दिन मेहनत कर घर का पालन पोषण करता है
पुरुष वो भी है जो बच्चो के शिखा दीक्षा के लिए अपने आप को बेचने तक तयार रहता है
पुरुष वो भी है जो संतान के लिए कितने ही समझोते करता है

इस संसार में दोनों एक दुसरे के पूरक है 
दोनों एक दुसरे के बिना अधूरे है 
कभी दोनों सामाजिक रिश्तो में एकदूसरे का साथ निभाते है 
कभी भावनात्मक रिश्तो के आड़ में एक दूजे को जीने का होसला देते है 
  


 

Sunday, July 8, 2012

ये साँस ही न रुके उसका क्या करू


जखम तो भर जायेगे  , अगर न कुरेदू इने 
लेकिन जो कील फसी है सीने में
उसका क्या करू 
दर्द तो अपना लिया है दिल से
जो तुमने दिया इनाम मोहब्बत में
पर आंसू जो न रुके 
उसका क्या करू 
चलती फिरती बन गया हु लाश
ये साँस ही न रुके 
उसका क्या करू
तुम दूर हो मुझ से समझ गया हु मैं
ये कम्बखत दिल ही न समझे
उसका क्या करू
प्यार तो हद से बढ कर करता हु तुम्हे मग .............
कम्बखत  दुनिया मांगे सबूत 
उसका क्या करू 
खुश हो तुम मुझसे बिछड़ कर भी 
ये कहते है लोग 
ये दिल ही न माने
उसका क्या करू