जब माँगा हमने थोडा सा उधार जिन्दगी से जिन्दगी का
तो उसने कहाँ कौन हो तुम
रोया , समझाया बहुत मगर
कम्बखत उसने नहीं माना
अब आया समझ जिंदगी का फलसफा
आज छीन ली हमने आपनी जिंदगी , जिंदगी से
तो समझ में यह आया मेरे दोस्त
शराफत का जमाना नहीं है अब मेरे दोस्त
जिंदगी दिखने में है जितनी खुबसूरत
ये उतनी ही बेवफा भी है
हाथ फैलाओगे तो नहीं मिलेगा कुछ भी
छीन लोगे हक तो सब तुम्हारा है