कुछ रिश्तो के अपने ही मायने होते है
वो न तो भगवान बनाता है
न ही हम खुद बनाते है
बस बन जाते है खुद ब खुद
चाहे हम जितना भी बदलना चाहे , भूलना चाहे
लाख कोशिश कर ले पर ,
उनकी एक अपनी ही खास जगह होती है
अन्त्रमन्न में ,
वो रिश्ते हमे ऐसे मंत्र मुग्ध करे रखते है
की अपने आप से रिश्ता ख़तम सा हो जाता है
सच ...........................
जब दो आत्माओ का मिलन हो जाता है
तो दुनिया की कोई भी शक्ति उन्हें अलग नहीं कर सकती
सब तत्र मंत्र परास्त हो जाते है इसके आगे
सही मायने में यही है सच्चा प्रेम
जो मैंने किया है तुमसे ......................................
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