अगर सुन रही हो तो सुनो
अगर देख रही हो तो देखो
क्या हो गया मैं तुमारे बिना
झुकता था सारा जमाना जिसके के आगे
आज झुक गया सब के आगे , तुमाहरे लिए
खुश था बेपरवाह था मस्त था
आज तबाह हो गया तुमाहरे लिए
जीता था तुझे देख देख के
आज जी रहा हु तुझे एक बार देखने के लिए
अफ़सोस तो रहेगा उमर भर
तेरी शिकायतों के लिए
पर अहसानमंद भी रहूगा हमेशा
तेरी रियायतों के लिए
मेरी वफ़ा पर करना यकीं
तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं
3 comments:
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
भास्कर जी बहुत बहुत शुक्रिया ...... ऐसा कोई आप्शन नहीं मिला वहां
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