कभी कभी ऐसा क्यों होता है
की जो बातें बनी बनाई है
वही झूठी साबित हो जाती है
लोग कहते है जिस चीज़ के पीछे भागो
वोह तुम्हे कभी नहीं मिलती
जब भागना छोड़ दो
तो वोह खुद बखुद तुमरे पास चली आती है
लकिन उसके साथ तो ऐसा भी नहीं हुआ
माँ के गुजरने के बाद प्यार को तरसता एक बच्चा
मिली तो हमदर्दी , वोह भी झूठी
जब बड़ा हुआ तोह दोस्तों में प्यार तलाशने लगा
भाग रहा था प्यार के पीछे , पर कहीं नहीं मिला
जब वोह आई उसकी जिन्दगी में
तो लगा जैसे तलाश पूरी हो गई
पर वो नहीं जानता था , बनी बनाई बातो को
प्यार तो उसके नसीब में ही नहीं था
आज भागना छोड़ दिया उसने प्यार के पीछे
लकिन वो बातें अभी भी सच नहीं हुई
इस जिन्दगी में कोई तो हो अपना
जिसे वो अपना बस अपना कह सके
4 comments:
ye to jivan ka katu stya hai
thx rachna jee
आपके ब्लॉग की ढेर सारी कविताएं पढ़ीं। यह अधिक अच्छी लगी। जन्म से लेकर मृत्यु तक हम प्यार की तलाश में भटकते रहते हैं, प्यार मिलता नहीं। मिलता भी है तो लगता है यह तो वैसा नहीं है जैसा चाहा था। यह हसरत कभी पूरी नहीं होने वाली। चाहत कभी कम नहीं होने वाली। इससे मुक्ति का एकमात्र रास्ता है कि हम सभी से प्यार करना शुरू कर दें। उसे माफ कर दें जिसने धोखा दिया।
शुक्रिया देवेन्द्र जी. ब्लॉग की गलत सेट्टिंग की वजह से में आपका कमेन्ट पड़ नहीं पाया था आज पड़ कर अच लगा . धोखा तो कोई किसी को नहीं देता बस आपने आप को देता है.. बस कभी मन उदास हो जाता है तो कुछ लिख देता हु
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