उसको थी पसंद शानो शोकत
मुझे लगा शायद है वोह मेरी सादगी पे मरती
उसको थी पसंद दौलत पैसा
मुझे लगा उसे सिर्फ चहिये मेरे जैसा
उसको थी आती बाते बनानी
मुझे लगा वोह कहती है दिल की
वोह तब भी जी सकती थी मेरे बिना
मुझे लगा वो अब भी करती है याद मुझे
जो जो उसने मुझे
दिखाया
समझाया
बतलाया
दर्शाया
वो सब कुछ क्या सिर्फ झूठ था
हाँ या ना
मुझे लगा वोह सच कहती है
आज कही नहीं है वो
मुझे लगता है यही कही है
उसका कहना
मेरा समझना
आज भी उलझा हु इन सब सवालो में
शायद उलझा भी रहू जब तक की
वो आ ना जाये
समझा ना जाये
अब तो बस इंतज़ार है की
पहले वो आते है या आखिरी सांस
2 comments:
:)
who is this anonymous person ?
Post a Comment