soch

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Wednesday, February 1, 2012

टाइटल रहित

देखा उन्हें इतेफाक से आज
उन्होंने भी देखा 
पर कर दिया अनदेखा 
थी मुस्कराहट उनके चहरे पर
देख उनकी  मुस्कराहट 
तबियत हुई मेरी खुश 
तभी महसूस हुआ कुछ
वो कर रहे है गुफ्तगू किसी और से
वो भी फ़ोन से
तब याद आया कुछ
ये वही खुशी और मुस्कराहट है 
जो कभी आती थी हम्हे देख  कर

  

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